महामंडलेश्वर श्रीमहंत रामश्रेष्ठ दास जी महाराज

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जीवन-परिचय

भगवान गणेश के साथ करें अपने दिन की शुरुआत

श्री रामानंदी वैष्णव महामण्डलेश्वर श्रीरामश्रेष्ठ दास जी महाराज का अवतरण 07.05.1949 को सीतामढ़ी, मिथिला धाम, बिहार की पावन भूमि पर हुआ। बचपन से ही आपका श्रीरामजी की भक्ति सेवा में गहरा लगाव रहा। सन् 1971 में अयोध्यापुरी आ गये। यहाँ श्री श्री 108 श्री महन्त त्रिवेणी दास जी महाराज से दीक्षित होकर भगवद् आराधना और नर-सेवा, नारायण-सेवा में संलग्न हो गये। विधिवत् आपने 17 वर्षो तक पुराण, टीका, वेद आदि सभी ग्रन्थों का गहन अध्ययन कर धार्मिक ज्ञान प्राप्त किया। आपका समर्पण, सेवा-भाव देखकर गुरू आज्ञानुसार आप श्री वृन्दावन धाम आये। परिक्रमा मार्ग पर आपने श्री अयोध्या धाम की स्थापना की।

  • सन् 1989 में आपको प्रयागराज में समस्त संत-महन्तों द्वारा महामण्डलेश्वर की उपाधि प्रदान की गई।
  • सन् 1995 में आप श्रीधाम वृन्दावन आये और यहाँ आकर आपने श्री अयोध्या धाम आश्रम की स्थापना कर नर-नारायण सेवा को आपने जीवन-पर्यन्त अपना ध्येय बना लिया।
  • सन् 2000 में मंदिर में आपके आराध्य श्री रामलला और सीताजी की स्थापना हुई और विशालकाय श्री हनुमान जी की प्रतिमा की स्थापना के कारण आश्रम का नाम श्री लम्बे हनुमान मंदिर पड़ गया। तब से गौ-सेवा, प्रतिदिन अन्न-क्षेत्र सेवा, वस्त्र-वितरण
    सेवा आश्रम की तरफ से अनवरत रूप से चली आ रही है।
  • आश्रम में आने वाले शिष्य-परिकर, श्रद्धालुगण जो दान-दक्षिणा देते हैं, उसी से मंदिर का संचालन हो रहा है।

दान करें – एक कदम मानवता की ओर

"आपका छोटा-सा सहयोग किसी की ज़िंदगी बदल सकता है!"

हमारी संस्था समाज के वंचित, जरूरतमंद और असहाय लोगों के जीवन में आशा की किरण बनने का प्रयास कर रही है। गौ-सेवा, प्रतिदिन अन्न-क्षेत्र सेवा, वस्त्र-वितरण
सेवा जैसे क्षेत्रों में हमारा काम आपके सहयोग से ही संभव हो पाया है।

गौ-सेवा

वस्त्र-वितरण सेवा

मंदिर के जीर्णोद्धार हेतु दान

प्रतिदिन अन्न-क्षेत्र सेवा